सैकड़ों लोग आज भी अपनी जान जोखिम में डालकर गंगा नदी पार करने को मजबूर हैं। दशकों बीत गए, लेकिन हालात नहीं बदले।ग्रामीण रोज़ाना ट्रैक्टर-ट्रॉली को नाव पर चढ़ाकर नदी पार करते हैं। यह नज़ारा सिर्फ एक दिन का नहीं, बल्कि कई सालों से चले आ रहे संघर्ष की तस्वीर है। स्थानीय लोग कहते हैं कि चुनावों के दौरान पुल बनाने के वादे तो खूब होते हैं, लेकिन काम कभी शुरू नहीं होता।
ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल, अस्पताल, बाज़ार और खेतों तक पहुंचने के लिए उन्हें रोज़ इसी खतरे से गुजरना पड़ता है। कई बार नाव का संतुलन बिगड़ने से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है, लेकिन मजबूरी के कारण लोग इसी रास्ते का इस्तेमाल कर रहे हैं।
ग्रामीण प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द यहां पुल का निर्माण कराया जाए, ताकि उन्हें सुरक्षित आवागमन मिल सके।
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ब्यूरो चीफ रामगोपाल पाल जनादेश भारत न्यूज़
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